Rahu ketu Dosh : राहु केतु न दे कही अचानक नुकसान और धोखा? लक्षण पहचाने और जाने अनसुने उपाय!

 

भारतीय वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है। यह दोनों ग्रह भौतिक रूप से अस्तित्व में नहीं होते, लेकिन इनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर अत्यंत गहरा होता है।!राहु और केतु को “छाया ग्रह” इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये सूर्य और चंद्रमा के साथ होने वाले ग्रहणों के कारण खगोलीय गणनाओं में आते हैं!राहु को उत्तर नोड और केतु को दक्षिण नोड कहा जाता है। इनका संबंध हमारे कर्म, भाग्य, इच्छाओं और आध्यात्मिक विकास से होता है!

 

आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी अपने इस लेख में राहु केतु से जुड़ी अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है! जब राहु और केतु कुंडली में प्रतिकूल स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति को जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे मानसिक तनाव, भ्रम, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, आर्थिक हानि, वैवाहिक कलह आदि! इस लेख में हम राहु और केतु के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए उपायों पर चर्चा करेंगे जो वैदिक ज्योतिष में बताए गए हैं! सबसे पहले राहु अगर खराब होकर स्थित है, तो इसके लक्षण क्या होते है इसके बारे में जान लेते हैं;!

 

**कुंडली में राहु की स्थिति;

अगर राहु छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, या शनि, मंगल, या चंद्रमा के साथ अशुभ योग बना रहा हो, तो यह ज्यादा पीड़ादायक हो सकता है! राहु की महादशा या अंतर्दशा में भी उसके प्रभाव विशेष रूप से महसूस होते हैं!

* राहु के लक्षण और प्रभाव;

**राहु के दुष्प्रभाव:

1. अचानक होने वाली परेशानियाँ

2. मानसिक अशांति और अवसाद

3. नशे की लत

4. झूठ, धोखा और भ्रम की स्थिति

5. कानून से जुड़ी समस्याएं

6. अप्राकृतिक इच्छाएं और भटकाव

7. भूत-प्रेत बाधा या काला जादू का प्रभाव

 

** राहु के उपाय:;

**राहु बीज मंत्र का जाप करें**

> मंत्र: *”ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”*

> प्रतिदिन इस मंत्र का 108 बार जाप करें। यह राहु के नकारात्मक प्रभाव को शांत करता है!

**काले कुत्ते या कौवे को भोजन दें**

राहु का संबंध अंधकार और छाया से है। काले कुत्ते, कौवे और भूखे को भोजन देना राहु को प्रसन्न करता है!

**शनिवार के दिन उड़द दाल का दान करें**

शनिवार के दिन उड़द दाल, काले तिल, लोहे की वस्तुएं, नीले वस्त्र आदि दान करने से राहु शांत होते हैं!

**नारियल जल में प्रवाहित करें**

किसी नदी में नारियल प्रवाहित करना राहु के दुष्प्रभाव को कम करता है!

**छाया दान करें**

सरसों का तेल लोहे के पात्र में डालकर उसमें अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में दान करें। राहु पर शनि का विशेष प्रभाव माना जाता है!

** अपने सिरहाने के अंदर सौंफ को लाल रंग के कपड़े की पोटली बना कर रखें और इसी पर सोए, ऐसा करने से आपको लाभ प्राप्त होगा!

 

** केतु के लक्षण और प्रभाव!

**कुंडली में केतु की स्थिति;;

केतु अगर लग्न, पंचम, सप्तम या अष्टम भाव में हो, या चंद्रमा के साथ “चांडाल योग” बना रहा हो, तो इसके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं!

 

**केतु के दुष्प्रभाव:;

1. आध्यात्मिक भ्रम या पाखंड की ओर झुकाव

2. अचानक दुर्घटना या ऑपरेशन की स्थिति

3. एकांतप्रियता और समाज से दूरी

4. त्वचा संबंधी रोग, एलर्जी

5. संतान सुख में कमी

6. मानसिक विक्षिप्तता या आत्महत्या की प्रवृत्ति

7. डर, शंका, और आत्मग्लानि की भावना

**केतु के उपाय;

**काले कुत्ते को रोटी दें**

केतु भी कुत्तों से संबंधित है, खासकर काले कुत्ते से। प्रतिदिन या शनिवार को रोटी खिलाना लाभकारी है।

**केतु स्तोत्र का पाठ करें**

**धूप-दीप से पूजा करें**

केतु को धूप, गुग्गल, और केसर प्रिय है। इनका उपयोग पूजा में करें!

**कंबल का दान करें**

मंगलवार या शनिवार को गरीबों को कंबल, काले वस्त्र, मूंग आदि का दान केतु को प्रसन्न करता है।

**अश्वत्थ वृक्ष की पूजा करें**

पीपल के पेड़ को जल देना, दीपक जलाना, और परिक्रमा करना केतु को शांत करता हैं!

 

**राहु-केतु के उपाय;

राहु और केतु दोनों के प्रभाव को शांत करने के लिए वैदिक ज्योतिष, पुराणों और तंत्र शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। ये उपाय नियमित और श्रद्धा से किए जाएं तो व्यक्ति को जीवन में राहत मिलती है!

> मंत्र: *”ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”*

> प्रतिदिन इस मंत्र का जाप 108 बार करें!

**काले कुत्ते को रोटी दें**

केतु भी कुत्तों से संबंधित है, खासकर काले कुत्ते से। प्रतिदिन या शनिवार को रोटी खिलाना लाभकारी है

ग्रहण काल में विशेष उपाय;

 

चूंकि राहु और केतु ग्रहण के कारण ही अस्तित्व में आते हैं, ग्रहण काल में इनकी पूजा विशेष रूप से फलदायक होती है!

 

* ग्रहण के दौरान मंत्र जाप करें (राहु या केतु का)!

* स्नान करके दान करें – अन्न, वस्त्र, दक्षिणा आदि।

* ग्रहण समाप्त होने के बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।

 

** साधारण जीवन में सावधानिया!

 

* झूठ बोलने, धोखा देने, परनिंदा करने से राहु कुपित होता है!

* अहंकार, तामसिक भोजन, और अत्यधिक विलासिता के कारण केतु असंतुलित होता है!

* ध्यान और योग की आदत डालें!

* सद्ग्रंथों का अध्ययन करे!

 

राहु और केतु हमारे जीवन में अदृश्य रूप से कार्य करते हैं! ये हमारे कर्मों के अनुसार फल देते हैं! यदि हम इनकी चाल को समझें और उपायों को अपनाएं, तो इनसे उत्पन्न समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। ज्योतिष केवल भविष्य बताने

का माध्यम नहीं, बल्कि एक गहन मार्गदर्शक है, जो हमें अपने कर्म और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है!

 

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